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श्री भवानी अष्टक।न तातो न माता न बन्धुर्न दाता।Sri Bhavani Ashtak-N Tato N Mata N Bandhurn Data।

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श्री भवानी अष्टक :- (हिन्दी /हिन्दी भावार्थ ) न तातो न माता न बन्धुर्न दाता न पुत्रो न पुत्री न भृत्यो न भर्ता । न जाया न विद्या न वृत्तिर्ममैव गतिस्त्वं गतिस्त्वं त्वमेका भवानी ॥ भवाब्धावपारे महादु:ख्भीरू पपात प्रकामी प्रलोभी प्रमत्त: । कुसंसारपाशप्रबध्द: सदाहं गतिस्त्वं गतिस्त्वं त्वमेका भवानी ॥ न् जानामि दानं न च ध्यानयोगम् न जानामि तन्त्रम् न च स्तोत्र स्तोत्रम्न्त्रम् ।  न जानामि पुजाम् न च न्यासयोगम् गतिस्त्वं गतिस्त्वं त्वमेका भवानी ॥ न जानामि पुण्यं न जानामि तिर्थम् न जानामि मुक्तिं लयं वा कदाचित् ।  न जानामि भक्तिं व्रतं वापि मातर्गतिस्त्वं गतिस्त्वं त्वमेका भवानी ॥ कुकर्मी कुसड्गी कुबुध्दी: कुदास्: कुलाचारहीन्: कदाचारलीन्: ।  कुदृष्टी: कुवाक्यप्रबन्ध्: सदाहं गतिस्त्वं गतिस्त्वं त्वमेका भवानी ॥ प्रजेशम् रमेशम् महेशम् सुरेशम् दिनेशम् निशीधेश्वरं वा कदाचित् ।  न जानामि चान्यत् सदाहं शरण्ये गतिस्त्वं गतिस्त्वं त्वमेका भवानी ॥ विवादे विषादे प्रमादे प्रवासे जले चानले पर्वते शत्रुमध्ये ।  अरण्ये शरण्ये सदा मां प्रपाहि गतिस्त्वं गतिस्त्वं त्वमेका भवा