संदेश

है नीको मेरो देवता कोसलपति राम लेबल वाली पोस्ट दिखाई जा रही हैं

विनय पत्रिका-107।है नीको मेरो देवता कोसलपति राम।Hai Niko Mero Devta Kosalpati।Vinay patrika-107।

चित्र
 है नीको मेरो देवता कोसलपति राम ।   सुभग सरोरुह लोचन, सुठि सुंदर स्याम ॥ भावार्थ :-  कोसलपति श्रीरामचन्द्रजी मेरे सर्वश्रेष्ठ देवता हैं, उनके कमलके समान सुन्दर नेत्र हैं और उनका शरीर परम सुन्दर श्यामवर्ण है ॥  सिय - समेत सोहत सदा छबि अमित अनंग ।   भुज बिसाल सर धनु धरे, कटि चारु निषंग ॥ भावार्थ :-  श्रीसीताजीके साथ सदा शोभायमान रहते हैं, असंख्य कामदेवोंके समान उनका सौन्दर्य है। विशाल भुजाओंमें धनुष-बाण और कमरमें सुन्दर तरकस धारण किये हुए हैं ॥  बलिपूजा चाहत नहीं, चाहत एक प्रीति ।   सुमिरत ही मानै भलो, पावन सब रीति ॥ भावार्थ :-  वे बलि या पूजा कुछ भी नहीं चाहते, केवल एक 'प्रेम' चाहते हैं। स्मरण करते ही प्रसन्न हो जाते हैं और सब तरहसे पवित्र कर देते हैं ॥  देहि सकल सुख, दुख दहै, आरत-जन-बंधु ।   गुन गहि, अघ-औगुन हरै, अस करुनासिंधु ॥ भावार्थ :-  सब सुख दे देते हैं और दुःखोंको भस्म कर डालते हैं। वे दुःखी जनोंके बन्धु हैं, गुणोंको ग्रहण करते और अवगुणोंको हर लेते हैं, ऐसे करुणा-सागर हैं ॥  देस-काल-पूरन सदा बद बेद पुरान ।  सबको प्रभु, सबमें बसै, सबकी गति जा