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शिव आरती।जय शिव ओंकारा।Shiv Arti। Jay Shiv Omkara।

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शिव आरती जय शिव ओंकारा ॐ जय शिव ओंकारा ।      ब्रह्मा विष्णु सदा शिव अर्द्धांगी धारा ॥ ॐ जय शिव...॥ एकानन चतुरानन पंचानन राजे ।      हंसानन गरुड़ासन वृषवाहन साजे ॥ ॐ जय शिव...॥ दो भुज चार चतुर्भुज दस भुज अति सोहे।      त्रिगुण रूपनिरखता त्रिभुवन जन मोहे ॥ ॐ जय शिव...॥ अक्षमाला बनमाला रुण्डमाला धारी ।      चंदन मृगमद सोहै भाले शशिधारी ॥ ॐ जय शिव...॥ श्वेताम्बर पीताम्बर बाघम्बर अंगे ।      सनकादिक गरुणादिक भूतादिक संगे ॥ ॐ जय शिव...॥ कर के मध्य कमंडलु चक्र त्रिशूल धर्ता ।      जगकर्ता जगभर्ता जगसंहारकर्ता ॥ ॐ जय शिव...॥ ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका ।      प्रणवाक्षर मध्ये ये तीनों एका ॥ ॐ जय शिव...॥ काशी में विश्वनाथ विराजत नन्दी ब्रह्मचारी ।      नित उठि भोग लगावत महिमा अति भारी ॥ ॐ जय शिव...॥ त्रिगुण शिवजीकी आरती जो कोई नर गावे ।      कहत शिवानन्द स्वामी मनवांछित फल पावे ॥ ॐ जय शिव...॥ ॐ नमः शिवाय ! यह भी पढ़े  श्री विष्णु आरती  ,  ॐ जय जगदीश हरे   । लिंक :-  https://amritrahasya.blogspot.com/2021/06/sri-vishnu-aarti-om-jai-jagdish-hare.html 🙏 कृपया लेख पसंद आये तो  इसे शेयर करे