श्री जगन्नाथ भगवान् के श्री विग्रह का स्वरूप बड़ी-बड़ी आंखों वाला क्यों है ?
एक बार द्वारिका में रुक्मणी आदि रानियों ने माता रोहिणी से प्रार्थना की कि वे श्रीकृष्ण व गोपियों की बचपन वाली प्रेम लीलाएं सुनना चाहतीं हैं । पहले तो माता रोहिणी ने अपने पुत्र की अंतरंग लीलाओं को सुनाने से मना कर दिया।किन्तु रानियों के बार-बार आग्रह करने पर मैया मान गईं और उन्होंने सुभद्रा जी को महल के बाहर पहरे पर खड़ा कर दिया और महल का दरवाजा भीतर से बंद कर लिया ताकि कोई अनाधिकारी जन विशुद्ध प्रेम के उन परम गोपनीय प्रसंगों को सुन न सके । बहुत देर तक भीतर कथा प्रसंग चलते रहे और सुभद्रा जी बाहर पहरे पर सतर्क होकर खड़ी रहीं। इतने में द्वारिका के राज दरबार का कार्य निपटाकर श्रीकृष्ण और बलराम जी वहां आ पहुंचे । उन्होंने महल के भीतर जाना चाहा लेकिन सुभद्रा जी ने माता रोहिणी की आज्ञा बता कर उनको भीतर प्रवेश न करने दिया । वे दोनों भी सुभद्रा जी के पास बाहर ही बैठ गए और महल के द्वार खुलने की प्रतीक्षा करने लगे । उत्सुकता वश श्रीकृष्ण भीतर चल रही वार्ता के प्रसंगों को कान लगा कर सुनने लगे। माता रोहिणी ने ज...