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पंचमुख हनुमत कवच, श्रीपञ्चमुखहनुमत्कवचम् Panchmukh hanuman kavach । Hanuman kavach

पंचमुख हनुमत कवच का हिंदी अर्थ सहित ॐ अस्य श्रीपञ्चमुखहनुमत्कवचमन्त्रस्य ब्रह्मा ऋषि: | गायत्री छंद:| पञ्चमुख-विराट् हनुमान् देवता| ह्रीम् बीजम् | श्रीम् शक्ति:| क्रौम् कीलकम्| क्रूम् कवचम्| क्रैम् अस्त्राय फट् | इति दिग्बन्ध:|           हिंदी में अर्थ : इस पंचमुख हनुमत कवच स्तोत्र के ऋषि ब्रह्मा हैं, छंद गायत्री है, देवता पंचमुख विराट हनुमानजी हैं, ह्रीम् बीज मन्त्र है, श्रीम् शक्ति है, क्रौम् कीलक है, क्रूम् कवच है और ‘क्रैम् अस्त्राय फट्’ मन्त्र दिग्बन्ध हैं। श्री गरुड उवाच अथ ध्यानं प्रवक्ष्यामि शृणु सर्वांगसुंदर, यत्कृतं देवदेवेन ध्यानं हनुमत: प्रियम् ॥           हिंदी में अर्थ : गरुड़जी ने उद्घोष किया हे सर्वांगसुंदर, देवाधिदेव के द्वारा, उन्हें प्रिय रहने वाला जो हनुमानजी का ध्यान लगाया, मैं उनके नाम का सुमिरण करता हूँ। मैं उस सुन्दर महिला का ध्यान करता हूँ जिन्होंने आपको बनाया है। पञ्चवक्त्रं महाभीमं त्रिपञ्चनयनैर्युतम्, बाहुभिर्दशभिर्युक्तं सर्वकामार्थसिद्धिदम्।।           हिंदी में अर्थ : ...