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नरक में कौन और क्यों जाता है। नरक कितने प्रकार के होते हैं| Narak kitne prakar ke hote h |

चौरासी लाख योनियों में मानव योनि की श्रेष्ठता इस बात में निहित है कि यह बुद्धिमान और विवेकी है। जीवन से जुड़ी समस्याओं का यह बुद्धि के द्वारा समाधान कर सकता है और अपने जीवन को शक्तिमय बना सकता है। ऐसे व्यक्ति समाज के लिए भी आदर्श होते हैं।   मानव जीवन समस्याओं के समाधान के लिए ही होता है।  अपने को धनवान समझकर दूसरे को अपमानित नहीं करना चाहिए। ईश्वर अगर धन प्रदान किये है तो उसका स्वयं एवं समाज के हित में उपयोग करें न कि धन का प्रदर्शन और दुरुपयोग करें। धनवान और बुद्धिमान को अपने बारे में बताने की जरुरत नहीं पड़ती, एक समय के बाद समाज उनकी पहचान कर आदर देने लगता है। घन रहने के बावजूद भी जो न खाता है न खिलाता है उसे धनपिशाच कहा जाता है।  धन सम्पत्ति व्यक्ति की निजी आवश्यकताओं की पूर्ति के साथ-साथ समाज के जरुसमन्द लोगों के लिए भी है।आज इस तथ्य को समझकर कार्यान्वयन करने में ही व्यक्ति और समाज का कल्याण है। धन के प्रति व्यक्ति के एकाधिकार के कारण ही सामाजिक अतर्कलह पैदा हो रहे है।    जो अपने जीव न को मर्यादित रखकर सांसारिकता से ऊपर उठने का प्रयास करता है, उसके अभियान में समाज भी सहयो