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श्री हयग्रीव स्तोत्रम् Sri Haygriv Stotram-Gyana Nandmym Devm-Nirmal

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  श्री हयग्रीव स्तोत्रम् (hindi/------) ज्ञाना नंदमयं देवं निर्मलस्फटिका कृतिं           आधारं सर्व विद्यानां हयग्रीव मुपास्महे ॥1॥ स्वतस्सिद्धं शुद्ध स्फटिक मणिभू भृत्प्रति भटं           सुधा सध्रीची भिर्द्युति भिरवदात त्रिभुवनं अनंतैस्त्रय्यंतैरनु विहित हेषाहल हलं           हताशेषा वद्यं हय वदन मीडेमहिमहः ॥2॥ समाहा रस्साम्नां प्रति पदमृचां धाम यजुषां           लयः प्रत्यूहानां लहरि विततिर्बोध जलधेः कथा दर्पक्षुभ्यत्कथककुल कोलाहल भवं           हरत्वंतर्ध्वांतं हय वदन हेषाहलहलः ॥3॥ प्राची संध्या काचि दंतर्निशायाः प्रज्ञादृष्टे रंजनश्रीरपूर्वा           वक्त्री वेदान् भातु मे वाजिवक्त्रा वागीशाख्या वासुदेवस्य मूर्तिः ॥4॥ विशुद्ध विज्ञान घन स्वरूपं विज्ञान विश्राण नबद्ध दीक्षं           दयानिधिं देहभृतां शरण्य देवं हयग्रीवमहं प्रपद्ये ॥5॥ अपौरुषेयैरपि वाक्प्रपंचैः अ...