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लक्ष्मी नृसिंह करावलंब स्तोत्रम् Lakshmi Nrishimh Kravlamb Strotram

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लक्ष्मी नृसिंह करावलंब स्तोत्रम् श्रीमत्पयोनिधि निकेतन चक्रपाणे भोगींद्र भोगमणि राजित पुण्यमूर्ते ।      योगीश शाश्वत शरण्य भवाब्धि पोत लक्ष्मीनृसिंह मम देहि करावलंबम् ॥ 1 ॥ ब्रह्मेंद्र रुद्रम रुदर्क किरीट कोटि संघ ट्टितांघ्रि कमला मलकांति कांत ।      लक्ष्मी लसत्कुच सरोरुह राजहंस लक्ष्मीनृसिंह मम देहि करावलंबम् ॥ 2 ॥ संसार दाव दहनाकर भीकरोरु ज्वाला वलीभिरति दग्धतनू रुहस्य ।      त्वत्पाद पद्म सरसी रुह मागतस्य लक्ष्मीनृसिंह मम देहि करावलंबम् ॥ 3 ॥ संसार जाल पतित तस्य जगन्निवास सर्वेंद्रियार्थ बडिशाग्र झषोपमस्य ।      प्रोत्कंपित प्रचुरतालुक मस्तकस्य लक्ष्मीनृसिंह मम देहि करावलंबम् ॥ 4 ॥ संसार कूमपतिघोर मगाध मूलं संप्राप्य दुःख शत सर्प समाकुलस्य ।      दीनस्य देव कृपया पदमागतस्य लक्ष्मीनृसिंह मम देहि करावलंबम् ॥ 5 ॥ संसार भीकर करींद्र कराभिघात निष्पीड्य मानव पुषः सकलार्तिनाश ।      प्राण प्रयाण भवभीति समा कुलस्य लक्ष्मीनृसिंह मम देहि करावलंबम् ॥ 6 ॥ संसार सर्प विष दिग्ध महोग्रतीव्र दंष्ट्राग्र कोटि परिदष्ट विनष्ट मूर्तेः ।      नागारि वाहन सुधाब्धि निवास शौरे लक्ष्मीनृसिंह मम देहि करावल