हनुमान आरती।आरती कीजै हनुमान लला की।Hanuman Aarti।Aarti Kijai Hanuman Lala Ki।

हनुमान आरती

आरती कीजै हनुमान लला की। दुष्ट दलन रघुनाथ कला की।।
    जाके बल से गिरिवर कांपे। रोग दोष जाके निकट न झांके।।

अंजनि पुत्र महाबलदायी। संतान के प्रभु सदा सहाई।
    दे बीरा रघुनाथ पठाए। लंका जारी सिया सुध लाए।

लंका सो कोट समुद्र सी खाई। जात पवनसुत बार न लाई।
    लंका जारी असुर संहारे। सियारामजी के काज संवारे।

लक्ष्मण मूर्छित पड़े सकारे। आणि संजीवन प्राण उबारे।
    पैठी पताल तोरि जमकारे। अहिरावण की भुजा उखाड़े।

बाएं भुजा असुर दल मारे। दाहिने भुजा संतजन तारे।
    सुर-नर-मुनि जन आरती उतारे। जै जै जै हनुमान उचारे।

कंचन थार कपूर लौ छाई। आरती करत अंजना माई।
    जो हनुमानजी की आरती गावै। बसी बैकुंठ परमपद पावै।

 लंकविध्वंस कीन्ह रघुराई। तुलसीदास प्रभु कीरति गाई।
    आरती कीजै हनुमान लला की। दुष्ट दलन रघुनाथ कला की।

श्री हनुमान चालीसा पाठ से सभी मनुकामना होगी पूर्ण (हिन्दी भावार्थ सहित ) ।
लिंक- https://amritrahasya.blogspot.com/2020/12/blog-post.html

श्री हनुमात् बन्दन :-

अतुलित बलधामं, हेमशैलाभदेहमं. दनुजवनकृशानुं, ज्ञानिनामग्रगण्यम्स कलगुण निधानं, वानराणामधीशम्. रघुपतिप्रिय भक्तं वातजातम् नमामि

  श्री बजरंग बाण पाठ, जय हनुमन्त सन्त हितकारी ।
  लिंक :- https://amritrahasya.blogspot.com/2021/05/sri-bajrang-baan-path.html


🙏 कृपया लेख पसंद आये तो अपना विचार कॉमेंट बॉक्स में जरूर साझा करें । 
 इसे शेयर करें, जिससे और भी धर्मानुरागियों को इसका लाभ मिल सके (प्राप्त कर सकें) ।🙏
साथ ही ऐसी अन्य आध्यात्मिक, भक्ती, पौराणिक  कथा , भारतीय संस्कृति एवं सभ्यता की कथा , श्रीमद्भागवत गीता, श्रीरामचरितमानस आदि से सम्बधित जानकारी पाने के लिए अमृत रहस्य  https://amritrahasya.blogspot.com/ के साथ जुड़े रहें ।

टिप्पणियाँ

एक टिप्पणी भेजें

अमृत रहस्य, अमृत ज्ञान,

हिंदी गिनती 01 To 100 Numbers Hindi and English Counting ginti

गरुड़जी एवं काकभुशुण्डि संवाद Garud - Kakbhushundi Samvad

विनय पत्रिका-102।हरि! तुम बहुत अनुग्रह किन्हों।Vinay patrika-102।Hari! Tum Bahut Anugrah kinho।

समुद्र मंथन की कथा।Samudra Manthan katha।

विनय पत्रिका 252| तुम सम दीनबन्धु, न दिन कोउ मो सम, सुनहु नृपति रघुराई । Pad No-252 Vinay patrika| पद संख्या 252 ,

विनय पत्रिका-114।माधव! मो समान जग माहीं-Madhav! Mo Saman Jag Mahin-Vinay patrika-114।

गोविंद नामावलि Govind Namavli-श्री श्रीनिवासा गोविंदा श्री वेंकटेशा गोविंदा-Shri Shrinivasa Govinda-Shri Venkatesh Govinda

संकट मोचन हनुमान् स्तोत्रम्-Sankat mochan Strotram-काहे विलम्ब करो अंजनी-सुत-Kahe Vilamb Karo Anjni Sut

श्री विष्णु आरती। Sri Vishnu Aarti।ॐ जय जगदीश हरे।Om Jai Jagdish Hare।

शिव आरती।जय शिव ओंकारा।Shiv Arti। Jay Shiv Omkara।